कोई सुणलो नी समाज वाला लोग नशा मुक्ति पर भजन - MadhurBhajans मधुर भजन










कोई सुणलो नी समाज वाला लोग
नशे में घणो रोग
काया में कतरी विपदा पडे।।
तर्ज पन्ना काळी वा अंधयारी।


काम धंधो करे कोनी
सिधो ठेके जाय रयो जी
खुद रा टाबर बिलख रया जी
धन ठेके पे लुटाय रयो जी
अररर थारा बिलके परिवार वाला लोग
काया मे कतरी विपदा पडे
कोईं सुणलो नी समाज वाला लोग
नशे में घणो रोग
काया में कतरी विपदा पडे।।


माय बाप सु पैला वो तो
बेटो बुढो होए गयो जी
माँ बाप री सेवा करणी
नशेडी बैटो भुल गयो जी
अररर मन मे चिन्ता करे हे मा ने बाप
बेटा बिना जग मे बाझंणी भली
कोईं सुणलो नी समाज वाला लोग
नशे में घणो रोग
काया में कतरी विपदा पडे।।









नशो कर कर गुर्दा सड गिया
बिमारी जकडन लागी रे
कचंन जेडी काया ने भाई
जोक दियो अग्नी माई रे
अररर सब डौक्टर खडा किया हाथ
नही झेले कोई हाथ
दुनिया सु अब तो जावणो पडै
कोईं सुणलो नी समाज वाला लोग
नशे में घणो रोग
काया में कतरी विपदा पडे।।


नशो नाश रो द्आर हे भाई
छोडो नशे री प्रित ने भाई
जो कोई भाई नशो करेला
घर बर्बाद होवसी रे
अररर थारा टाबर रो काई होसी हवाल
जिवतडा बिलखता मर जासी
कोईं सुणलो नी समाज वाला लोग
नशे में घणो रोग
काया में कतरी विपदा पडे।।


कोई सुणलो नी समाज वाला लोग
नशे में घणो रोग
काया में कतरी विपदा पडे।।
लेखक एवं गायक
तेजाराम विजरावत
9571010249











nasha mukti par bhajan