नज़र सुधारे नज़र बिगाड़े नज़र की बात बताता हूँ लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
नज़र सुधारे नज़र बिगाड़े
नज़र की बात बताता हूँ
नज़र नज़र में फर्क है कितना
जो समझा बतलाता हूँ।।
तर्ज क्या मिलिए ऐसे लोगो से।
सीधी नज़र पड़ी अर्जुन पर
सारथी बनकर साथ दिया
तिरछी नज़र दुर्योधन पर तो
कुरुवंश का नाश किया
नज़र नहीं पर नज़र पे पर्दा
कैसे पड़ा बताता हूँ
नज़र नज़र में फर्क है कितना
जो समझा बतलाता हूँ।।
नज़र किया जब लंकापति ने
रतन जड़ित उस माला को
नज़र ना आये राम कहीं पर
उस अंजनी के लाला को
खोज रही थी नज़र राम को
माला में बतलाता हूँ
नज़र नज़र में फर्क है कितना
जो समझा बतलाता हूँ।।
नज़र उठाकर मदद मांगती
भरी सभा में वो नारी
नज़र गड़ी धरती में सबकी
खींचे दुशासन साडी
चीर बढ़ा पर नज़र ना आया
किसने किया बताता हूँ
नज़र नज़र में फर्क है कितना
जो समझा बतलाता हूँ।।
नज़र का इतना असर के वो
पत्थर को तोड़ गिराती है
अच्छी नज़र तो पुजवा दे
हो बुरी तो सर फुड़वाती है
नज़र से गिरना नज़र में उठना
समझो तो समझाता हूँ
नज़र नज़र में फर्क है कितना
जो समझा बतलाता हूँ।।
जग की नज़र में इस जीवन में
भले नहीं बन पाओगे
पड़ गई उसकी एक नज़र तो
भव सागर तर जाओगे
नज़र करे नर पे नारायण
आशीर्वाद दिलाता हूँ
नज़र नज़र में फर्क है कितना
जो समझा बतलाता हूँ।।
नज़र सुधारे नज़र बिगाड़े
नज़र की बात बताता हूँ
नज़र नज़र में फर्क है कितना
जो समझा बतलाता हूँ।।
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