ना तो रूप है ना तो रंग है ना तो गुणों की कोई खान है लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










ना तो रूप है ना तो रंग है
ना तो गुणों की कोई खान है
फिर श्याम कैसे शरण में ले
इसी सोच फिक्र में जान है
ना तो रूप हैं ना तो रंग हैं।।


नफरत है जिनसे उन्हें सदा
उन्हीं अवगुणों में मैं हूँ बँधा
कलि कुटिलता है कपट भी है
हठ भी और अभिमान भी है
फिर श्याम कैसे शरण में ले
इसी सोच फिक्र में जान है
ना तो रूप हैं ना तो रंग हैं।।


तन मन वचन से विचार से
लगी लौ है इस संसार से
पर स्वप्न में भी तो भूलकर
उनका कुछ भी न ध्यान है
फिर श्याम कैसे शरण में ले
इसी सोच फिक्र में जान है
ना तो रूप हैं ना तो रंग हैं।।


सुख शान्ति की तो तलाश है
साधन न एक भी पास है
न तो योग है न तप कर्म है
न तो धर्म पुण्य दान है
फिर श्याम कैसे शरण में ले
इसी सोच फिक्र में जान है
ना तो रूप हैं ना तो रंग हैं।।









कुछ आसरा है तो यही
क्यों करोगे मुझ पे कृपा नहीं
इक दीनता का हूँ बिन्दु मैं
वो दयालुता के निधान हैं
फिर श्याम कैसे शरण में ले
इसी सोच फिक्र में जान है
ना तो रूप हैं ना तो रंग हैं।।


ना तो रूप है ना तो रंग है
ना तो गुणों की कोई खान है
फिर श्याम कैसे शरण में ले
इसी सोच फिक्र में जान है
ना तो रूप हैं ना तो रंग हैं।।
रचना बिंदु जी महाराज।
गायक प्रेषक आचार्य पं जितेंद्र भार्गव।
8959389938










na to roop hai na to rang hai bhajan lyrics