ना मूरत में ना तीरथ में ना कोई निज निवास में लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
ना मूरत मेंना तीरथ में
ना कोई निज निवास में
मुझको कहाँ ढूंढे तू बंदे
मैं तेरे विश्वास में
मुझको कहाँ ढूंढे तू बंदे
मैं तेरे विश्वास में।।
तर्ज भला किसी का कर ना।
चार दिवारी बनाके उसमे
मुझको ना महफूज करो
हर पल तेरे साथ खड़ा मैं
मुझको ज़रा महसूस करो
ना मंदिर में ना मस्जिद में
ना काशी कैलाश में
मुझको कहाँ ढूंढे तू बंदे
मैं तेरे विश्वास में।।
मैं नही कहता मौन रहो तुम
मैं नही कहता शोर करो
अपना ज्ञान किनारे रखकर
मेरी बात पे गोर करो
ना जप तप में ना पूजन में
ना व्रत और उपवास में
मुझको कहाँ ढूंढे तू बंदे
मैं तेरे विश्वास में।।
मुझपे तो अभिमान है तुमको
तुमपे मैं अभिमान करूँ
हारे के साथी बन जाओ
तुमको नाम ये दान करूँ
मैं भूखे की भूख में रहता
मैं प्यासे की प्यास में
मुझको कहाँ ढूंढे तू बंदे
मैं तेरे विश्वास में।।
जिसने मुझको पाया उसने
कौन से भोग लगाए थे
नरसी मीरा और सुदामा
साथ भरोसा लाए थे
सोनू जो महसूस कर सके
मैं उसके एहसास में
मुझको कहाँ ढूंढे तू बंदे
मैं तेरे विश्वास में।।
ना मूरत मेंना तीरथ में
ना कोई निज निवास में
मुझको कहाँ ढूंढे तू बंदे
मैं तेरे विश्वास में
मुझको कहाँ ढूंढे तू बंदे
मैं तेरे विश्वास में।।
स्वर रजनी जी राजस्थानी।
प्रेषक विमल सक्सेना।
na murat me na tirath me na koi nij niwas me lyrics