ना चाहूँ मैं सर पे कभी ताज ज़रा सी श्याम दया कर दे - MadhurBhajans मधुर भजन
ना चाहूँ मैं सर पे कभी ताज
ज़रा सी श्याम दया कर दे
आजा अब तो बचा दे लाज
ज़रा सी श्याम दया कर दे।।
तर्ज तुम आए तो आया मुझे याद।
कैसे निकलूं अपने घर से
बादल की ज्यूं नैना बरसे
तुमसे कुछ न छुपा सरताज
ज़रा सी श्याम दया कर दे
ना चाहूं मैं सर पे कभी ताज
ज़रा सी श्याम दया कर दे।।
इतने ग़म है सह ना पाऊं
तुमसे भी मैं कह ना पाऊं
मुख से निकले नहीं अल्फ़ाज़
ज़रा सी श्याम दया कर दे
ना चाहूं मैं सर पे कभी ताज
ज़रा सी श्याम दया कर दे।।
सब कर्मों का लेखा जोखा
मुझको ना तू देना धोखा
तुझे जालान कहे ये आज
ज़रा सी श्याम दया कर दे
ना चाहूं मैं सर पे कभी ताज
ज़रा सी श्याम दया कर दे।।
ना चाहूँ मैं सर पे कभी ताज
ज़रा सी श्याम दया कर दे
आजा अब तो बचा दे लाज
ज़रा सी श्याम दया कर दे।।
गायक राधे राधे पुजारी जी।
भजन लेखक पवन जालान जी।
9416059499
भिवानी हरियाणा
na chahu main sir pe kabhi taaj jara si shyam daya kar de lyrics