मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ओसमान मीर भजन - MadhurBhajans मधुर भजन










मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई
श्लोक पीले पीले पीले
दुनिया लुटा के पी
मस्ताना बन के पी
इस से ज्यादा शौक है तो
तेरे गुरु के चरण में जा के पी
क्योकि तेरा निकल जायेगा जी
तो फिर कौन कहेगा पी
पीले पीले रस मीठा है राम का
जो रस पीने से जुबा पे नाम हो घनश्याम का।
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई
कहाँ लेके आई कहाँ लेके आई
मुझे मेरी मस्ती कहां लेके आई।।


पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको
तो बस एक मैं हूँ और कुछ नाही
मुझे मेरी मस्ती कहाँ ले के आई।।









सभी में सभी में पड़ा मैं ही मैं हूँ
सिवा मेरे अपने कही कुछ नाही
मुझे मेरी मस्ती कहां लेके आई।।


ना दुःख है ना सुख है ना कोई शौक कुछ भी
अजब है यह मस्ती पीया कुछ नाही
मुझे मेरी मस्ती कहां लेके आई।।


मुझे मेरी मस्ती कहा लेके आई
कहाँ लेके आई कहाँ लेके आई
मुझे मेरी मस्ती कहां लेके आई।।













mujhe meri masti kahan leke aayi lyrics in hindi