मोरे मन बस ग्यो रे नंद गांव को छोरो भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
मोरे मन बस ग्यो रे
नंद गांव को छोरो
ना है वो तो गोरो सखि री
डाले मो पे डोरो
मोरें मन बस ग्यो रे
नंद गांव को छोरो।।
जाऊं थी रे मैं पनघट पे
नज़र रही वा की घूंघट पे
लाज शर्म से मर गई मैं तो
वा ने मुख ना मोड़ो
मोरें मन बस ग्यो रे
नंद गांव को छोरो।।
वो चुप था बोले थी अंखियां
चुप थी पर समझे थी सखियां
निशदिन छेड़े मो को सारी
दिल में कुछ कुछ होरो
मोरें मन बस ग्यो रे
नंद गांव को छोरो।।
मैं तो ब्याही वो है क्वारों
मेल हो कैसे कहो हमारो
ना जाने वो दुनियादारी
सदा दिखावे टोरो रुआब
मोरें मन बस ग्यो रे
नंद गांव को छोरो।।
मनिहारी बन डोल रहा है
चूड़ी ले लो बोल रहा है
पकड़ कलाई छोड़ ना देना
कहे जालान तोरो
मोरें मन बस ग्यो रे
नंद गांव को छोरो।।
मोरे मन बस ग्यो रे
नंद गांव को छोरो
ना है वो तो गोरो सखि री
डाले मो पे डोरो
मोरें मन बस ग्यो रे
नंद गांव को छोरो।।
भजन रचयिता पवन जालान जी।
9416059499 भिवानी हरियाणा
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