मोहन की द्वारिका में चलके सुदामा आया लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
मोहन की द्वारिका में
चलके सुदामा आया
आशाएं अपने मन में
कितनी संजो के लाया
मोहन की द्वारका में।।
तर्ज मुझे इश्क़ है तुझी।
सुनलो ऐ द्वारपालो
कान्हा से तुम ये जाके
कह दो खड़ा सुदामा
द्वारे पे तेरे आके
बचपन का यार उनके
दुःख ने बड़ा सताया
आशाए अपने मन में
कितनी संजो के लाया
मोहन की द्वारका मे
चल के सुदामा आया
आशाए अपने मन में
कितनी संजो के लाया
मोहन की द्वारका मे।।
सुनते ही दोड़े मोहन
फिर छोड़ के सिंघासन
देखा जो यार अपना
सूद बुध गवाएं मोहन
नटवर ने यार अपना
सिने से फिर लगाया
आशाए अपने मन में
कितनी संजो के लाया
मोहन की द्वारका मे
चल के सुदामा आया
आशाए अपने मन में
कितनी संजो के लाया
मोहन की द्वारका मे।।
देखि यार की दशा जो
कान्हा फुट करके रोये
असुवन से फिर सुदामा
के पग हरी ने धोये
छुते ही पग हरी ने
कंचन बना दी काया
आशाए अपने मन में
कितनी संजो के लाया
मोहन की द्वारका मे
चल के सुदामा आया
आशाए अपने मन में
कितनी संजो के लाया
मोहन की द्वारका मे।।
बनी झोपड़ी जहाँ थी
वहाँ महल था बनाया
रातो ही रात जाके
घनश्याम ने की माया
जन्मों जनम का दुखड़ा
था यार का मिटाया
आशाए अपने मन में
कितनी संजो के लाया
मोहन की द्वारका मे
चल के सुदामा आया
आशाए अपने मन में
कितनी संजो के लाया
मोहन की द्वारका मे।।
मोहन की द्वारिका में
चलके सुदामा आया
आशाएं अपने मन में
कितनी संजो के लाया
मोहन की द्वारका में।।
स्वर राकेश जी काला।
mohan ki dwarka mein chal ke sudama aaya lyrics