म्हारो बीरो आयो बनकर के कृष्ण कन्हाई जी लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
म्हारो बीरो आयो
बनकर के कृष्ण कन्हाई जी
सागे रुक्मणि सी आई
भोजाई जी
सागे रुक्मणि सी आई
भोजाई जी।।
तर्ज म्हारो बाबो म्हाने।
बीरो आयो मान बढ़ायो
घर में खुशियां छायो
पिहरिये री रीत सदा की
बीरो निभावण आयो
भोजाई सागे प्यारा
भतीजा भी आया सा
सब झूमे नाचे गावे
नचावे सा
सब झूमे नाचे गावे
नचावे सा।।
चुनड़ ल्यायो चूड़ो ल्यायो
और बिछिया भी ल्यायो
जयपुरिये री पोत मंगाकर
माणक मोत्या जड़ायो
चुनर को गोटो
सोने और चांदी से गड़वाया सा
बीरो और भावज मिलके
ओढ़ाया सा
बीरो और भावज मिलके
ओढ़ाया सा।।
म्हारो बीरो आयो
बनकर के कृष्ण कन्हाई जी
सागे रुक्मणि सी आई
भोजाई जी
सागे रुक्मणि सी आई
भोजाई जी।।
mharo beero aayo bankar ke krishna kanhai ji lyrics