मेरे गणनायक तुम आ जाओ मैं तो कबसे बाट निहार रही - MadhurBhajans मधुर भजन
मेरे गणनायक तुम आ जाओ
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओ।।
तर्ज श्यामा आन बसों वृंदावन में।
मेरी सखियाँ मुझसे पूछे है
कब आएंगे गजमुख बोलो
अब अष्ट विनायक आ जाओ
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओं
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओ।।
मन व्याकुल है तन डोले है
हर साँस मेरी यही बोले है
अब गौरी नंदन आ जाओ
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओं
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओ।।
गौरा के मन मन का तू गौरव
शिव जी की अँखियों का तारा
अब विघ्न विनाशक आ जाओ
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओं
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओ।।
तेरा मुख मंगल की मूरत है
तेरा दर्श ही गणपति अमृत है
कभी मुझ पे दया बरसा जाओ
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओ
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओ।।
मेरे मन में गणपति भक्ति रहे
तेरी भक्ति ही दाता शक्ति रहे
रंग ऐसा मुझपे चढ़ा जाओ
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओं
मैं तो कबसे बाट निहार रही
मेरे गणनायक तुम आ जाओ।।
यह भजन मेरे मित्र
अविनाश जी मौर्य ने भेजा है।
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