मेरे दाता के दरबार में सब लोगो का खाता भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










मेरे दाता के दरबार में
सब लोगो का खाता
जो कोई जैसी करनी करता
वैसा ही फल पाता
मेरें दाता के दरबार में
सब लोगो का खाता।।


क्या साधू क्या संत गृहस्थी
क्या राजा क्या रानी
प्रभु की पुस्तक में लिखी है
सबकी करम कहानी
बड़े बड़े वो जमा खर्च का
सही हिसाब लगाता
मेरें दाता के दरबार में
सब लोगो का खाता।।


नहीं चले भाई उसके घर पे
रिश्वत और चालाकी
उसकी लेन देन की बन्दे
रीति बड़ी है बाँकी
पुण्य का बेडा पार करे वो
पाप की नाव डूबाता
मेरें दाता के दरबार में
सब लोगो का खाता।।


बड़े बड़े कानून प्रभु के
बड़ी बड़ी मर्यादा
किसी को कौड़ी कम नहीं देता
नहीं किसी को ज्यादा
इसीलिए तो इस दुनिया का
जगतपति कहलाता
मेरें दाता के दरबार में
सब लोगो का खाता।।









करता है वो न्याय सभी का
एक आसान पर डटके
प्रभु का न्याय कभी ना पलटे
लाख कोई सिर पटके
समझदार तो चुप रह जाता
मूरख शोर मचाता
मेरें दाता के दरबार में
सब लोगो का खाता।।


अच्छी करनी करियो रे बन्दे
काम ना करियो काला
लाख आँख से देख रहा है
तुझे देखने वाला
भले करम करते रहियो
समय गुजरता जाता
मेरें दाता के दरबार में
सब लोगो का खाता।।


मेरे दाता के दरबार में
सब लोगो का खाता
जो कोई जैसी करनी करता
वैसा ही फल पाता
मेरें दाता के दरबार में
सब लोगो का खाता।।












mere data ke darbar mein sab logo ka khata lyrics