मेरा सत चित आनंद रूप कोई कोई जाने रे भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
मेरा सत चित आनंद रूप
कोई कोई जाने रे
अरे कोई कोई जाने रे
वीरा मारा कोई कोई जाने रे
मारो सत चित आनंद रूप
कोई कोई जाने रे।।
जन्म मरण तो धर्म नहीं मेरा
पाप पुण्य कर्म नहीं मेरा
अरे मारो आदि अनादि यो रूप
कोई कोई जाने रे
मारो सत चित आनंद रूप
कोई कोई जाने रे।।
हे चंदा सूर्या में तप है मेरा
अग्नि में तप जप मेरा है
हे मारो यूं ही तो विकराल रूप
कोई कोई जाने रे
मारो सत चित आनंद रूप
कोई कोई जाने रे।।
पांच कोस से मैं हूं पारा
तीन गुणों से न्यारा रे हे मारो
यही तो विराट रूप
कोई कोई जाने रे
मारो सत चित आनंद रूप
कोई कोई जाने रे।।
अरे लिखा परवान से रूप पहचान ले
जीवाझुनू खेतला अरे मारो
वही माला रे वालों रूप
कोई कोई जाने रे
मारो सत चित आनंद रूप
कोई कोई जाने रे।।
रामानंद सतगुरु मिलिया
तरवारि जहाज बताई रे
बोलिया है दास कबीर
कोई कोई जाने रे
मारो सत चित आनंद रूप
कोई कोई जाने रे।।
मेरा सत चित आनंद रूप
कोई कोई जाने रे
अरे कोई कोई जाने रे
वीरा मारा कोई कोई जाने रे
मारो सत चित आनंद रूप
कोई कोई जाने रे।।
भजन प्रेषक
वगत राम डांगी
वली उदयपुर राजस्थान
9867858451
mera sat chit anand roop lyrics