मैं मोहनी मुरलिया मुकुट और मुरली का झगड़ा - MadhurBhajans मधुर भजन
मैं मोहनी मुरलिया
थामे रखता साँवरिया
श्याम के अधरो पे सजती हूँ
श्याम के संग मैं तो कब की हूँ
तू काहे को अकड़ा है
मेरा रुतबा बड़ा है।
मैं मुकुट हूँ चमकता
कान्हा को प्यारा लगता
हीरे मोती और पन्ने
जड़े है जाने कितने
जो श्याम के शीश चढ़ा है
मेरा रुतबा बड़ा है
जो श्याम के शीश चढ़ा है
मेरा रुतबा बड़ा है।।
पहले काटा छिला रगड़ा
सीने में कई छेद किए
कुछ भी ना कहा
जब जख़्म मिला
बजती ही रही हर दर्द लिए
इतना कुछ सहकर भी मैं तो
मीठी तान सुनाती हूँ
जब मुझे गुनगुनाए कान्हा
मैं किस्मत पे इतराती हूँ
झेलना बहुत पड़ा है
मेरा रुतबा बड़ा है
तू काहे को अकड़ा है
मेरा रुतबा बड़ा है।।
मैं सोना था जला गलाकर
सारा खोट मिटा डाला
चोट खाई मैंने बार बार
और मेरा एक पतरा बना डाला
सोनी के सुघड़ हाथो में गया
उसने की फिर मीनाकारी
जवाहरात जड़े भांत भांत के
मेरी बना दी छवि न्यारी
कहे सब अजब घड़ा है
जो श्याम के शीश चढ़ा है
मेरा रुतबा बड़ा है।।
मैं संगीत की शान
मेरे स्वर कान मिशरी घोले
सबका साथ निभाती हूँ
मेरी तान से तन मन डोले
श्याम बजाए मधुर तान फिर
हर कोई श्याम का होले
मीठी मीठी धुन मेरी
सबको एक तार पिरोले
रंग भक्ति का चड़ा है
मेरा रुतबा बड़ा है।।
श्याम सजाकर शीश पर
जब दरबार पधारे
मेरे ही गुण गाए सभी
सब मेरी ओर निहारे
हो तारीफ़ मेरे रत्नो की
कीमत मेरी विचारे
तुझे लगाकर कमर में कान्हा
नज़र ना तुझपे मारे
तुझसे रहता उखड़ा है
मेरा रुतबा बड़ा है
जो श्याम के शीश चढ़ा है
मेरा रुतबा बड़ा है।।
मुकुट बिना मेरा शीश अधूरा
मुरली बिना नंदलाला
शीश मुकुट सब गाए आरती
नाम है मुरली वाला
दोनो ही हो प्राण प्रिये
दोनो को मैने संभाला
सरल तुम्हारे जीवन को
लो मैने अब कर डाला
दोनो का रुतबा बड़ा है
ख़तम हुआ ये झगड़ा है
दोनो का रुतबा बड़ा है
ख़तम हुआ ये झगड़ा है।।
mera rutba bada hai bhajan lyrics