मेहनत की कमाई को ऐसे ना लुटाना तू लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










मेहनत की कमाई को
ऐसे ना लुटाना तू
खर्चो को घटाकर के
सेवा में लगाना तू।।




तर्ज बचपन की मोहब्बत को।


राई से राई मिले
पर्वत बन जाता है
जब बून्द से बून्द मिले
सागर बन जाता है
खुद को समरथ करके
दुनिया को दिखाना तू
खर्चो को घटाकर के
सेवा में लगाना तू।।


महंगाई के युग में
पैसे का ही खेला है
जिसने दौलत जोड़ी
यहाँ उसका रेला है
यूँ व्यर्थ गँवा करके
पीछे पछताना तू
खर्चो को घटाकर के
सेवा में लगाना तू।।


जो खर्च ही करना है
इंसान पे खर्च करो
दीनो की मदद करो
दुखियों के दर्द हरो
ऐ हर्ष तेरी माया
नेकी में लगाना तू


खर्चो को घटाकर के
सेवा में लगाना तू।।









मेहनत की कमाई को
ऐसे ना लुटाना तू
खर्चो को घटाकर के
सेवा में लगाना तू।।












mehnat ki kamai ko aise na lutana tu lyrics