मत बण दास लुगाई को चेतावनी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










मत बण दास लुगाई को
दोहा संसार सागर है अगर
माता पिता ऐक न्याव है
जिसने दुखाई आत्मा
वो डुबता मझदार है।
जिसने करी तन मन से सैवा
उसका बेड़ा पार है
माता पिता परमात्मा
मिलतै ना दुजी बार है।


लोक और परलोक सुधरज्या
करले काम भलाई को
मात पिता की सेवा करले
मत बण दास लुगाई को।।


आला में सूती रे बेटा
सुखा मै तने सुलाती
सारा घर को काम बिगाड़यो
कदे नही तने रुलाती
लूंण मिरच से रोटी खाता
पायो दूध मलाई को
मात पिता की सेवा करले
मत बण दास लुगाई को।।









सुसरा जी ने कवे बापु
सासु जी ने कह माता
जन्म दियोड़ा मा बाप से
कदै नहि मिठा बोल्या
कोरा को वेग्यो रे बेटा
रियो ना जामण जाई को
मात पिता की सेवा करले
मत बण दास लुगाई को।।


मोटो भयो जद आस बंदी
मारा सारा दुख मिट जावैला
ऐसी नई जाने रे बेटा
तू परणता हि न्यारो हो जावेलो
ऐसि बात मै पहला जाणता
थारो नही करता काम सगाई को
मात पिता की सेवा करले
मत बण दास लुगाई को।।


चुल्या आगे बैठ्यो रे रेवे
बैठे ना भाई मनखा में
दादागिरी में चाले रे भायो
कदे ना चाल्ये लखड़ा में
मांगीलाल समझावे रे बेटा
मत ना लजा तू दूध माई को
मात पिता की सेवा करले
मत बण दास लुगाई को।।


लोक और परलोक सुधरज्या
करले काम भलाई को
मात पिता की सेवा करले
मत बण दास लुगाई को।।



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