मनवा कर भगति में सिर बाण तज कुब्द्ध कमावण - MadhurBhajans मधुर भजन










मनवा कर भगति में सिर
बाण तज कुब्द्ध कमावण।
दोहा कण दिया सो पण दिया
किया भील का भूप
बलिहारी गुरु आपने
मेरे चढ़िया सराया रूप।


मनवा कर भगति में सिर
बाण तज कुब्द्ध कमावण।।


जोगी बन्या गोपीचन्द राजा
जिन घर बाजे नोपत बाजा
मा मेंनावत दिया उपदेश
धार ली अलख जगावण की।।









सीता जनक पूरी में जाई
ज्याने लग्यो रावण छुड़ाई
चल्या राम लखन का बाण
तोड़ लंका रावण की।।


पांचो पांडव द्रौपती नारी
जिनका चिर दुशासन सारी
पांडव गलगा हिमालय जाय
सुन ली कलयुग आबा की।।


ईन गावे काफिया जोड़
हां ईश्वर से नाता जोड़
भर्मा का भांडा फोड़
मानुष देह फेर ना आवन की।।


मनवा साध संगत में चाल
बाण तज कुब्द्ध कमावन की।।
स्वर स्वामी ओमदास जी महाराज।
प्रेषक सुनील गोठवाल
9057815318

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