मनवा ले सतगुरु की शरण तिरण रो अवसर आयो रे लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
मनवा ले सतगुरु की शरण
तिरण रो अवसर आयो रे।।
शुभ कर्मा से मनुष्य तन पायो
अजब सोच मन में नहीं लायो
बनकर आयो बिंद
नींद में कैसे सुतो रे
मनवा लें सतगुरु की शरण
तिरण रो अवसर आयो रे।।
जो जीव अपनी मुक्ति चाहो
दसदोस ने दूर हटाओ
पानी पहली पाल बांध ले
गाफिल कई सुतो रे
मनवा लें सतगुरु की शरण
तिरण रो अवसर आयो रे।।
चोरी जारी जीव और हत्या
निन्दा गाली मिथ्या ओर पतिया
हर्ष शोक अभिमान
ई दस मत लाये रे
मनवा लें सतगुरु की शरण
तिरण रो अवसर आयो रे।।
राजा रावण और शिशुपाला
पकड़ कंठ बाणासुर मारा
ऐसा ऐसा भूप हुआ धरती पर
जारो पत्तों नी पायो रे
मनवा लें सतगुरु की शरण
तिरण रो अवसर आयो रे।।
ये दिन तेरा बीत जाएगा
फिर चोरियासी में गोता खावेगा
पकड़ सांच तज झूठ
मारग थने सीधो बतायो रे
मनवा लें सतगुरु की शरण
तिरण रो अवसर आयो रे।।
रामानंद गुरु साची रे केवे
जाग जीव थने हेला रे देवें
कहे कबीर विचार मनक
तन मुश्किल पायो रे
मनवा लें सतगुरु की शरण
तिरण रो अवसर आयो रे।।
मनवा ले सतगुरु की शरण
तिरण रो अवसर आयो रे।।
गायक गोपाल दास वैष्णव।
प्रेषक शुभम लोहार।
9057207846
manva le satguru ki sharan tiran ro avsar aayo re lyrics