मना थारी नींदडली ने निवार ओ तो जग झूठों रे संसार - MadhurBhajans मधुर भजन










मना थारी नींदडली ने निवार
ओ तो जग झूठों रे संसार।।


ऊगे सो ही आतवे रे
फूले सो कुम्हलाय
बणिया देवल गिर पड़े रे
जन्मे सो मर जाय
मना थारी निंदडली ने निवार
ओ तो जग झूठों रे संसार।।


सोने रा गढ़ कोट बण्यां रे
सोने रा घर बार
रती एक सोनो नहीं मिल्यो रे
रावण मरती बार
मना थारी निंदडली ने निवार
ओ तो जग झूठों रे संसार।।


हाथों पर्वत तोलता रे
भूमि रे मरती भार
ऐड़ा ऐड़ा नर माटी मिल्या रे
सुरता करो विचार
मना थारी निंदडली ने निवार
ओ तो जग झूठों रे संसार।।









एक पलक नहीं चालती ओ
चाली कोस हजार
काशी पुरी रे चोवटे रे
हरिचन्द बेची नार
मना थारी निंदडली ने निवार
ओ तो जग झूठों रे संसार।।


सेर सेर सोनो पेहरती ओ
मोतीड़ा मरती भार
घड़ी एक झोलों बाजियों रे
घर घर री पणिहार
मना थारी निंदडली ने निवार
ओ तो जग झूठों रे संसार।।


ऐड़े खेड़े ठीकरी रे
माटी घड़े रे कुम्हार
काज़ी मुहमद यू भणे रे
हरि भज उतरो पार
मना थारी निंदडली ने निवार
ओ तो जग झूठों रे संसार।।


मना थारी नींदडली ने निवार
ओ तो जग झूठों रे संसार।।
स्वर मुरलीधर जी महाराज।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052










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