मन रे सतगुरु कर मेरा भाई राजस्थानी भजन - MadhurBhajans मधुर भजन
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई
सतगुरु बिना कोन है तेरो
अन्त समय रै मांही
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
जब महा कस्ट पड़ैगो तुझमे
कोई आडौ नहीं आई
मात पिता ञिया सुत बन्धु
सब ही मुँउा छुपाई
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
धन जोवन और महल
मालीया सब धर्या रह जाई
जब यम राज लेवण ने आवै
जूत खावतो जाई
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
राज तेज री चालै नी हेमायती
देवोरी चालै नांई
गुरु देख हटे दुख दुरी
भाग जाय जमराई
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
गुरु मिलै तो बन्ध छुड़ावै
निर्भय पद को पाई
अचल राम तज सकल आसरा
चरण कमल चितलाई
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई
सत गुरुबिना कोन है तेरो
अन्त समय रै मांही
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
भजन प्रेषक
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man re satguru kar mera bhai