मन रे मत कर तन की बढ़ाई भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
मन रे मत कर तन की बढ़ाई
बडा बडा योगेशर खपगा
तेरी कोन चलाई
मन मेरा मत कर तन की बढ़ाई।।
हिर्णाखुश धरती पे योद्धा
रामजी को नाम छिपाई
उनके ओधर पहलाद जनमिया
नख से दिया मराई
मन मेरा मत कर तन की बढ़ाई।।
एक बाण अर्जुन को चलता
सेष बाण बन जाइ
काबा गोपियां लूटन लागा
बाण चलन ना पाई
मन मेरा मत कर तन की बढ़ाई।।
दस माथा जाकेबीस भुजा थी
कुंभकर्ण बल भाई
तन रा गर्भ से लंका खो दी
संग चाल्यो ना कोई
मन मेरा मत कर तन की बढ़ाई।।
राजा सागर के सेश पुत्र थे
नितका कुआ खुदाई
एक शब्द से धरती मिल गी
बाहर निकल ना पाई
मन मेरा मत कर तन की बढ़ाई।।
तन का गर्व से वोही नर डूबे
भव सागर के माही
कहत कबीर सुनो भाई साधु
उल्टा समाल्यो माही
मन मेरा मत कर तन की बढ़ाई।।
मन रे मत कर तन की बढ़ाई
बडा बडा योगेशर खपगा
तेरी कोन चलाई
मन मेरा मत कर तन की बढ़ाई।।
गायक एवं प्रेषक
जयप्रकाश खटीक बड़ागांव
9521816461
man re mat kar tan ki badhai lyrics