मन प्राण बुद्धि हो प्रबल चित्त विमल कर दे शारदे - MadhurBhajans मधुर भजन










मन प्राण बुद्धि हो प्रबल
चित्त विमल कर दे शारदे
उठे मन में उद्रेक सात्विक
उद्दात भाव का सार दे।।


हे ज्ञानेश्वरी हे योगेश्वरी
माँ सरस्वती वागेश्वरी
निपट मूर्ख ये दास तेरा
ज्ञान ज्योति का संचार दे
मन प्राण बुद्धि हों प्रबल
चित्त विमल कर दे शारदे।।


श्वेतवर्णी कमल आसिनी
हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी
सुदृढ़ हो हर कर्म लक्ष मेरा
ऐसा संकल्पित विचार दे
मन प्राण बुद्धि हों प्रबल
चित्त विमल कर दे शारदे।।


मन प्राण बुद्धि हो प्रबल
चित्त विमल कर दे शारदे
उठे मन में उद्रेक सात्विक
उद्दात भाव का सार दे।।







गायक रूपेश चौधरी।
7004825278
लेखक निशान्त झा बटोही।










man pran budhi ho prabal chit vimal karde sharde lyrics