मन के मंदिर में प्रभु को बसाना भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










मन के मंदिर में प्रभु को बसाना
बात हर एक के बस की नहीं है
खेलना पड़ता है जिंदगी से
भक्ति इतनी भी सस्ती नहीं है
मन के मंदिर में प्रभू को बसाना
बात हर एक के बस की नहीं है।।
तर्ज मेरे बांके बिहारी सांवरिया।


प्रेम मीरा ने मोहन से डाला
उसको पीना पड़ा विष का प्याला
जब तलक ममता है ज़िन्दगी से
उसकी रहमत बरसती नहीं है
मन के मंदिर में प्रभू को बसाना
बात हर एक के बस की नहीं है।।


तन पे संकट पड़े मन ये डोले
लिपटे खम्बे से प्रहलाद बोले
पतितपावन प्रभु के बराबर
कोई दुनिया में हस्ती नहीं है
मन के मंदिर में प्रभू को बसाना
बात हर एक के बस की नहीं है।।









संत कहते हैं नागिन है माया
जिसने सारा जगत काट खाया
कृष्ण का नाम है जिसके मन में
उसको नागिन ये डसती नहीं है
मन के मंदिर में प्रभू को बसाना
बात हर एक के बस की नहीं है।।


मन के मंदिर में प्रभु को बसाना
बात हर एक के बस की नहीं है
खेलना पड़ता है जिंदगी से
भक्ति इतनी भी सस्ती नहीं है
मन के मंदिर में प्रभू को बसाना
बात हर एक के बस की नहीं है।।
स्वर देवी चित्रलेखा जी।










man ke mandir me prabhu ko basana lyrics