मैं कही भटक न जाऊँ सँसार मे मैरे साँई - MadhurBhajans मधुर भजन










मैं कही भटक न जाऊँ
सँसार मे मैरे साँई
जीवन बिताना चाहूँ
तेरे द्वार पे मेरे साँई।।
तर्ज मै कही कवि न बन जाऊँ।


तेरा नाम मै जपूँगा
तेरा ध्यान मै करूँगा
तेरे नाम का जिकर भी
सुबह शाम मै करूँगा
मुझ पर भी मौज तेरी
हो जाए मेरे साँई
मै कही भटक न जाऊँ।।


तेरी रज़ा मे हरदम
जीऊँगा मै ओ दाता
देखो कही न टूटे
तेरा मेरा ये नाता
तुमसे विमुख मै हो कर
कहाँ जाऊँ मेरे साँई
मै कही भटक न जाऊँ।।









फँस कर जगत मे मैने
प्रभू तुमको है भुलाया
तू है दयालू फिर भी
मुझको शरण बुलाया
इतनी दया भी करदो
तुम्हे ध्याऊँ मेरे साँई
मै कही भटक न जाऊँ।।


मैं कही भटक न जाऊँ
सँसार मे मैरे साँई
जीवन बिताना चाहूँ
तेरे द्वार पे मेरे साँई।।
भजन लेखक एवं प्रेषक
श्री शिवनारायण वर्मा
मोबान8818932923
वीडियो उपलब्ध नहीं।










main kahin bhatak na jaun sansar me lyrics