महाकाल की नगरी मेरे मन को भा गई भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










महाकाल की नगरी
मेरे मन को भा गई।
दोहा मोक्षदायिनी अवंतिका
शिप्रा जल की धार
पाप कटे मुक्ति मिले
महाकाल दरबार।


महाकाल की कृपा से
तो दुनिया चल रही है
जितना दिया बाबा ने
किस्मत बदल रही है
महाकाल की नगरी
मेरे मन को भा गई
उज्जैन नगरी आया हूं
बाबा तेरे लिए
पहुंचा दिया है तेरे
करम ने कहाँ मुझे
महाकाल की नगरीं
मेरे मन को भा गई।।


भगत हूं मैं उनका
उन्हीं का दीवाना
बाबा के चरणों में मुझे
जीवन को बिताना
जिस दिन में से मेरे भोले की
कृपा मुझ पर हुई
जीवन में मेरे खुशियों की
बहार आ गई
महाकाल की नगरीं
मेरे मन को भा गई।।









सावन में जब महाकाल
तेरी सवारी आए
दर्शन को बाबा तेरे
देखो भीड़ लग जाए
मैं कुछ भी नहीं हूं
मेरे दाता तेरे बिना
तेरे दर्शन के लिए
भोले आया हूं यहां
महाकाल की नगरीं
मेरे मन को भा गई।।


महाकाल की कृपा से
तो दुनिया चल रही है
जितना दिया बाबा ने
किस्मत बदल रही है
महांकाल की नगरी
मेरे मन को भा गई
उज्जैन नगरी आया हूं
बाबा तेरे लिए
पहुंचा दिया है तेरे
करम ने कहाँ मुझे
महाकाल की नगरीं
मेरे मन को भा गई।।
गायक प्रेषक शुभम प्रजापत।
7999733255










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