मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










मान रे रावण अभिमानी
माया रघुवर की ना जानी
कुटी में लक्ष्मण जी होते
प्राण तेरा क्षण में हर लेते।।


मैं पत्नी हूँ श्री राम की
वो त्रिलोकी नाथ
किस कारण दुष्ट तूने
पकड़ा मेरा हाथ
बोलता भिक्षुक की वाणी
माया रघुवर की ना जानी।।


हाय लखन को भेजकर
पड़ी दुष्ट के फंद
लखन गया रावन आया
हुआ बहुत विलम्ब
जटायु सुन रहा वाणी
माया रघुवर की ना जानी।।


रावण पहुचा लंक में
सीता को बाग उतार
सीता सोच करे मन मे
आ जाज्यो रगुनाथ
सुनो रे पेड़ पक्षी प्राणी
माया रघुवर की ना जानी।।









तुलसीदास की विनती
सुणज्यो सिरजनहार
सीता अन जल लेवे नही
करज्यो कोई उपाय
नाथ मेरी यहि अरजानी
माया रघुवर की ना जानी।।


मान रे रावण अभिमानी
माया रघुवर की ना जानी
कुटी में लक्ष्मण जी होते
प्राण तेरा क्षण में हर लेते।।
गायक सत्यनारायण जी लुहार।
प्रेषक चारभुजा साउंड सिस्टम जोरावरपुरा।
भेरू शंकर शर्मा। 9460405693










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