लाला म्हाने बिलखता छोड गयो किन ठौड़ आफत कई आ पड़ी - MadhurBhajans मधुर भजन










लाला म्हाने बिलखता छोड गयो
किन ठौड़ आफत कई आ पड़ी
बेटा श्रवण आई पानी तो म्हाने पाई
मैं जोवा थारी बाटडी।।


पिता मात जन्म का अंधा
सेवा करता रे श्रवण बंदा
तन मन से सेवा किन्ही
गर प्यारी नार तज दीन्ही
कर आये ओ चारो धाम
वनी के माय कांधे तो लीन्हि कावड़ी
बेटा श्रवण आई पानी तो म्हाने पाई
मैं जोवा थारी बाटडी।।


श्रवण ने शीस जुकायो
जब नीर भरण ने आयो
पानी म गड़ो डुबोयो
बड़बड़ को सब्द सुनायो
दसरथ ने तीर चलायो
वाके नेना नीर भर आयो
तीर लाग्यो कलेजा माय
सह्यो नही जाय तड़पे ज्यूँ मछली
बेटा श्रवण आई पानी तो म्हाने पाई
मैं जोवा थारी बाटडी।।


दसरथ जी तीर पे आया
श्रवण ने देख दुख पाया
बोले गोविंद की लीला न्यारी
मेने पाप कियो बड़ो भारी
मेने जानी मेरी शिकार
तीर दिया मार जुल्म किया भारडी
बेटा श्रवण आई पानी तो म्हाने पाई
मैं जोवा थारी बाटडी।।









दसरथ से श्रवण बोल्यो
मारो मात पिता म मन दोल्यो
मामाजी वन म जाज्यो
मारा मात पिता न पानी पाज्यो
कर चरणों मे प्रणाम
चला वो निज धाम मीचि दोनों आखडी
बेटा श्रवण आई पानी तो म्हाने पाई
मैं जोवा थारी बाटडी।।


मारो जल बिन जीव गबरावे
श्रवण बिन कुन पानी पावे
मारो प्राण कंठ में अटक्यो रे
बेटा थू कई मार्ग भटक्यो रे
वो ग्यो अंधेरी रात
कोइ न साथ कीदी कोई गातड़ी
बेटा श्रवण आई पानी तो म्हाने पाई
मैं जोवा थारी बाटडी।।


दसरथ जी जल भर लाया
श्रवण का हाल सुनाया
तू हट जा रे दुष्ट हत्यारा
कोई देखे मुखडा तुम्हारा
मेरा जोबन धन लिया लूट
कर्म गया फुट काल जोवे बाटडी
बेटा श्रवण आई पानी तो म्हाने पाई
मैं जोवा थारी बाटडी।।


राजा अंत समय थारो आसी
गर कंवरएक ना पासी
सीताराम जावेला वन में रे
थारे कीड़ा पड़ेला तन म रे
अन्धा अन्धी श्राप लगाय
जीव गबराय तड़पे ज्यूँ मछली
बेटा श्रवण आई पानी तो म्हाने पाई
मैं जोवा थारी बाटडी।।


सब क्रिया करम कराये
दसरथ जी अवध को आये
राजा मन ही मन पछताये
वाका भेद कोई न पाए
लिया मूलचंद कथ गाय
भजन उ बनाय हरि से लगावड़ी
बेटा श्रवण आई पानी तो म्हाने पाई
मैं जोवा थारी बाटडी।।


लाला म्हाने बिलखता छोड गयो
किन ठौड़ आफत कई आ पड़ी
बेटा श्रवण आई पानी तो म्हाने पाई
मैं जोवा थारी बाटडी।।
प्रेषक चारभुजा साउंड सिस्टम जोरावरपुरा।
भैरव शंकर शर्मा।
9460405693
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