क्यूँ गुमान करे काया का मन मेरे चेतवानी भजन - MadhurBhajans मधुर भजन










क्यूँ गुमान करे काया का मन मेरे
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है
नाम गुरु का सुमिर मन मेरे बावरे
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है।
तर्ज़ ज़िन्दगी का सफर है ये कैसा



तूने संसार को तो है चाहा मगर
नाम प्रभु का है तूने तो ध्याया नही
मोह ममता में तू तो फँसा ही रहा
ज्ञान गुरु का हिरदय लगाया नही
मौत नाचे तेरे सर पे ओ बावरे
एक दिन छोड़


आयेगा जब बुलावा तेरा बावरे
छोड़ के इस जहाँ को जाएगा तू
साथ जाएगा ना एक तिनका कोई
प्यारे रो रो बहुत पछताएगा तू
आज से अभी से लग जा तू राम में
एक दिन छोड़









क्यूँ गुमान करे काया का मन मेरे
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है
नाम गुरु का सुमिर मन मेरे बावरे
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है।


भजन लेखक व् गायक
ताराचन्द खत्री जयपुर










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