क्यों छुप के बैठते हो परदे की क्या जरुरत भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










क्यों छुप के बैठते हो
परदे की क्या जरुरत
भक्तों को यूँ सताने की
भक्तों को यूँ सताने की
अच्छी नहीं है आदत
क्यो छुप के बैठते हो
परदे की क्या जरुरत।।
तर्ज दुनिया ने दिल दुखाया।


माना की मुरली वाले
बांकी तेरी अदा है
तेरी सांवरी छवि पे
सारा ये जग फ़िदा है
लेकिन हो कारे कारे
लेकिन हो कारे कारे
ये भी तो है हकीकत
क्यो छुप के बैठते हो
परदे की क्या जरुरत।।


टेढ़ी तेरी छवि है
तिरछी है तेरी आँखे
टेढ़ा मुकुट है सर पे
टेढ़ी है तेरी बातें
करते हो तुम क्यों सांवरे
करते हो तुम क्यों सांवरे
भक्तो से ये शरारत
क्यो छुप के बैठते हो
परदे की क्या जरुरत।।









हमको बुला के मोहन
क्यों पर्दा कर लिया है
हम गैर तो नहीं है
हमने भी दिल दिया है
देखूं मिला के नज़रे
देखूं मिला के नज़रे
दे दो जरा इजाजत
क्यो छुप के बैठते हो
परदे की क्या जरुरत।।


दिलदार तेरी यारी
हमको जहाँ से प्यारी
तेरी सांवरी सलोनी
सूरत पे रोमी वारि
पर्दा जरा हटा दो
पर्दा जरा हटा दो
कर दो प्रभु इनायत


क्यो छुप के बैठते हो
परदे की क्या जरुरत।।


क्यों छुप के बैठते हो
परदे की क्या जरुरत
भक्तों को यूँ सताने की
भक्तों को यूँ सताने की
अच्छी नहीं है आदत
क्यो छुप के बैठते हो
परदे की क्या जरुरत।।
स्वर रचना रोमी जी।










kyu chup ke baithte ho parde ki kya jarurat lyrics