क्या सुख पायो रे राम को विसार के भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
क्या सुख पायो रे
राम को विसार के
विषयों में फस के चला
जीती बाजी हार के
विषयों में फस के चला
जीती बाजी हार के।।
तर्ज छुप गया कोई रे दूर से।
बचपन की आयु तूने
खेल में गंवाई रे
आई जवानी लागे
प्यारी घर की नारी रे
वक्त बुढ़ापा रोया
वक्त बुढ़ापा रोया
फिर आहे मार के
विषयों में फस के चला
जीती बाजी हार के
विषयों में फस के चला
जीती बाजी हार के।।
सारी उम्र का स्टाम्प
किसी ने लिखाया नहीं
जाना है आखिर सबने
अमर फल खाया नहीं
जाना असल घर अपने
जाना असल घर अपने
आप तू सुधार रे
विषयों में फस के चला
जीती बाजी हार के
विषयों में फस के चला
जीती बाजी हार के।।
आम मिलेंगे कहां से
कीकर जो बोएगा
धर्मराज लेखा मांगे
सिर फोढ रोयेगा
अब भी गुण गा ले प्रेम
अब भी गुण गा ले प्रेम
कृष्ण मुरार के
विषयों में फस के चला
जीती बाजी हार के
विषयों में फस के चला
जीती बाजी हार के।।
क्या सुख पायो रे
राम को विसार के
विषयों में फस के चला
जीती बाजी हार के
विषयों में फस के चला
जीती बाजी हार के।।
गायक आचार्य दयाशंकर जी।
9529295695
kya sukh payo re ram ko bisar ke lyrics