कुल रो कारण सन्तों है नहीं देसी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
कुल रो कारण सन्तों है नहीं
दोहा सतगुरु बिन सोजी नहीं
और सोजी सब घट माय
रज्जब मक्की रे खेत में
चिड़िया ने गम नाय।
कुल रो कारण सन्तों है नहीं
सिंवरे ज्यारो सांई रे
सिंवरू सिंवरू नर निर्भय भया
देवा दरसिया घट माही रे
कुल रो कारण सन्तो है नही।।
रिख इठियासी तापता
एकण वन माही रे
ज्यांमे तापे रे शबरी भीलणी
त्यांमे अंतर नाही रे
कुल रो कारण सन्तो है नही।।
किस्तूरी मूंगे मोल री
राखे ज्यांरे रेही रे
लखपतियों रे लादे नहीं
वे कद रे मोलाई रे
कुल रो कारण सन्तो है नही।।
भ्रांत पड़ी संसार में
नर सुद्र कमाई रे
उत्तम साहिब रो नाम है
बाकी मिदम बणायी रे
कुल रो कारण सन्तो है नही।।
भक्ति कमाई रविदास जी
गुरु भेटिया मीरां बाई रे
राणा जी परचो माँगियों
गंगा आई कुंड माही रे
कुल रो कारण सन्तो है नही।।
रामदास जी हर ने भेटिया
खेडापे माही रे
राजा प्रजा निवण करे
साँची राम सगाई रे
कुल रो कारण सन्तो है नही।।
कुल रो कारण सन्तो है नहीं
सिंवरे ज्यारो सांई रे
सिंवरू सिंवरू नर निर्भय भया
देवा दरसिया घट माही रे
कुल रो कारण सन्तो है नही।।
गायक प्रेम नाथ जी।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
kul ro karan santo hai nahi lyrics