कुछ पल की ज़िन्दगानी इक रोज़ सबको जाना भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
कुछ पल की ज़िन्दगानी
इक रोज़ सबको जाना
बरसों की तु क्यू सोचे
पल का नही ठिकाना॥
तर्जमुझे इश्क है तुझी से
कुछ पल की ज़िन्दगानी
इक रोज़ सबको जाना
बरसों की तु क्यू सोचे
पल का नही ठिकाना॥
मल मल के तुने अपने
तन को जो है निखारा
इत्रो की खुशबुओं से
महके शरीर सारा।
काया ना साथ होगी
ये बात ना भुलाना
बरसों की तु क्यू सोचे
पल का नही ठिकाना॥
मन है हरी का दर्पण
मन मे इसे बसा ले
करके तु कर्म अच्छे
कुछ पुण्य धन कमा ले
कर दान और धर्म तु
प्रभु को गर है पाना
बरसों की तु क्यू सोचे
पल का नही ठिकाना॥
आयेगी वो घड़ी जब
कोई भी ना साथ होगा
कर्मों का तेरे सारे
इक इक हिसाब होगा
ये सौच ले अभी तु फ़िर
वक़्त ये न आना
बरसों की तु क्यू सोचे
पल का नही ठिकाना॥
कोई नही है तेरा
क्यू करता मेरा मेरा
खुल जाये नींद जब ही
समझो वही सबेरा
हर भोर की किरण संग
हरी का भजन है गाना
बरसों की तु क्यू सोचे
पल का नही ठिकाना॥
कुछ पल की ज़िन्दगानी
इक रोज़ सबको जाना
बरसों की तु क्यू सोचे
पल का नही ठिकाना॥
kuch pal ki jindagani ek roj sabko jaana