कोयलिया बोली रे अम्बुआ की डाल अपनो कोई नहींआ रे - MadhurBhajans मधुर भजन










कोयलिया बोली रे
अम्बुआ की डाल
अपनो कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन
अपना कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन
अपना कोई नहींआ रे।।


बाग लगाए बगीचा लगाए
और लगाए केला रे बालम
और लगाए केला
जिस दिन राम प्राण निकल गयो
रह गयो चांम अकेला
अपनो कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन
अपना कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन
अपना कोई नहींआ रे।।


तीन दीनाहलो तिरिया रोबे
छमही नाहलो भाई रे बालम
छमही नाहलो भाई
जन्मजन्म ओ माता रोबे
कर गयो आस पराई
अपनो कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन
अपना कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन
अपना कोई नहींआ रे।।


पांच पचास बाराती आ गये
ले चल ले चल होई रे बालम
ले चल ले चल होई
कहत कबीर सुनो भाई साधो
जा गत सबकी होई
अपनो कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन
अपना कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन
अपना कोई नहींआ रे।।









कोयलिया बोली रे
अम्बुआ की डाल
अपनो कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन
अपना कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन
अपना कोई नहींआ रे।।
गायक सुन्दरलाल विश्वकर्मा


बीलखेडा भजन मंडली।










koyaliya boli re ambua ki daal lyrics