कोई पीवे संत सुजान नाम रस मीठा रे भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
कोई पीवे संत सुजान
नाम रस मीठा रे।।
राजवंश की रानी पी गयी
एक बूँद इस रस का
आधी रात महल तज चलदी
रहा ना मनवा बस का
गिरिधर की दीवानी मीरा
ध्यान छूटा अपयश का
बन बन डोले श्याम बांवरी
लग्यो नाम का चस्का
नाम रस मीठा रे
कोईं पीवे संत सुजान
नाम रस मीठा रे।।
नामदेव रस पीया रे अनुपम
सफल बना ली काया
नरसी का एक तारा कैसे
जगतपति को भाया
तुलसी सूर फिरे मधुमाते
रोम रोम रस छाया
भर भर पी गयी ब्रज की गोपी
सुन्दरतम पी पाया
नाम रस मीठा रे
कोईं पीवे संत सुजान
नाम रस मीठा रे।।
ऐसा पी गया संत कबीर
मन हरी पाछे ढोले
कृष्ण कृष्ण जय कृष्ण कृष्ण
नस नस पार्थ की बोले
चाख हरी रस मगन नाचते
शुक नारद शिव भोले
नाम रस मीठा रे
कोईं पीवे संत सुजान
नाम रस मीठा रे।।
कोई पीवे संत सुजान
नाम रस मीठा रे।।
स्वर श्री रविनंदन शास्त्री जी महाराज।
प्रेषक अभय प्रपन्नाचार्य जी
919450631727
koi pive sant sujan naam ras meetha hai lyrics