कितना रोया हूँ सांवरे दर पे अब तेरा हाथ जरूरी सर पे - MadhurBhajans मधुर भजन










कितना रोया हूँ सांवरे दर पे
दोहा तू दयालु है तू तो दानी है
आज तुझसे है ये सवाल मेरा
तू सबका सहारा है सब कहते
ये बन्दा है क्यूँ बेहाल तेरा।
कितना रोया हूँ सांवरे दर पे
अब तेरा हाथ जरूरी सर पे।।
तर्ज जिन्दा रहने के लिये।









दयावान दानी तू भरपूर है
तेरे दर का कैसा ये दस्तूर है
नजरों से मेरी तू क्यों दूर है
क्या मेरी तरह तू भी मजबूर है
सबसे सुना है तू सबका सहारा है
जग से मैं हारा हुँ
क्यों मुझसे किनारा है
अब तेरा हाथ जरूरी सर पे।।


मेरी जाने औक़ात
कैसे लाता सौग़ात
देखो आँखो से छलके
मेरे दिल के जज्बात
कैसे बीते दिन रात
सुन ले दिल की दो बात
कैसे बदले हालात
मुझसे कह दे तू तात
कटता नहीं ये
जीवन का सफर
तू ले ले सावंरिया
मेरी भी खबर
एक बार मेरी तू
अँगुली पकड़
ना जीवन में छोडू
मैं तेरी डगर
क्या भीड़ में तुझको
नहीं आता नजर
सुना है तेरे द्वार पे
ना देर ना अँधेर है
सुनेगा तू ही सांवरा
जालान की ये टेर है
अब तेरा हाथ जरूरी सर पे।।


कितना रोया हूं सांवरे दर पे
अब तेरा हाथ जरूरी सर पे।।
स्वर राजू बांवरा जी।
लेखक पवन जालान जी।
9416059499 भिवानी हरियाणा










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