खेतारामजी रो मुकुंद घोड़ो घुंघरिया घमकावे - MadhurBhajans मधुर भजन
खेतारामजी रो मुकुंद घोड़ो
श्लोक मुकुंद घोड़ो नवलखो
और मोतिया जड़ी रे लगाम
जीन पर विराजे खेतारामजी
तो सारे भक्ता रा काज।
खेतारामजी रो मुकुंद घोड़ो
घुंघरिया घमकावे
दानो देवन सारू ओ दाता
मुकुंद ने बुलावे रे जद वो
रिमझिम करतो आवे
मुकुंद घुंघरिया घमकावे।।
ब्रह्माजी रे मिंदर री
दाता रे मन में आवे
ब्रह्मा समाजसु घन चंदो लेवन
गाँव गाँव में जावे जद वो
टाइम पर पोचावे
मुकुंद घुंघरिया घमकावे।।
दो हजार छत्तीश में जद
नदिया भारी आवे
गाँव गोलियां आशोतरा री
मुकुंद ऊपर चड़ने दाता
गाँव री कार लगावे रे
मुकुंद घुंघरिया घमकावे।।
गाँव री कार लगाया पाछे
नदिया उतर जावे
परजा ने उबारे ओ दाता
कोई पार ने पावे
दीपो आपरा भजन बनावे
प्रकाश माली गावे रे
मुकुंद घुंघरिया घमकावे।।
खेतारामजी रो मुकुंद घोड़ो
घुंघरिया घमकावे
दानो देवन सारू ओ दाता
मुकुंद ने बुलावे रे जद वो
रिमझिम करतो आवे
मुकुंद घुंघरिया घमकावे।।
भजन लेखक श्री महेंद्र सिंहजी पंवार।
श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित
सम्पर्क 91 9096558244
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khetaram ji ro mukund ghodo lyrics