खेल रचावियो रे दाता कुम्भकारी बण जाय - MadhurBhajans मधुर भजन










खेल रचावियो रे दाता
कुम्भकारी बण जाय
कुम्भकारी बण जाय दाता
कुम्भकारी बण जाय।।


माटी रो मटकों महल बणायो
ब्रह्मा जी करतार
हरि सुदर्शन चक्कर लाया
काटन दी अंगरार।।


कलम कुम्हारी लेय शारदा
मांड़े करमा रेख
लक्ष्मी नारायण उवेरण कर
सिणगारियों महल।।


खड्ग आवड़ो सती श्रीयादे
अग्नि मेली माय
काचो पाको देखे शंकर
दे कडकोलिया मार।।









किशना जी का शब्दां ऊपर
रतन ध्यान लगावे
गुरु चरणां में सिश नमाकर
सत्संग में सुणावें।।


खेल रचावियो रे दाता
कुम्भकारी बण जाय
कुम्भकारी बण जाय दाता
कुम्भकारी बण जाय।।
गायक पंडित रतनलाल प्रजापति।
निर्देशक किशनलाल जी प्रजापत।










khel rachaviyo re data kumbhkari ban jay