खलक है रेण का सपना समझ मन कोई नहीं अपना लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
खलक है रेण का सपना
दोहा सतगुरु मोय निवाजियो
दीजो अमर बोल
शीतल शब्द कबीर सा रा
हंसा करे किलोल।
हंसा मत डरपो काल से
करो मेरी प्रतीत
अमर लोक पंहुचाय दू
चलो जी भवजल जीत।
भव जल में भव काग हैं
केई केई हंस समान
कहे कबीर सा धर्मीदास ने
मोहे उतारे पार।
खलक है रेण का सपना
समझ मन कोई नहीं अपना
कठण हैं लोभ की धारा
मुआ सब जाय संसारा।।
पत्ता एक डाल का टूटा
घड़ा एक नीर का फूटा
ऐसे नर जाय जिंदगानी
सवेरा चेत अभिमानी
खलक हैं रेण का सपना
समझ मन कोई नहीं अपना।।
भूलो मती देख तन गोरा
जगत में जीवणा थोड़ा
तजो मन लोभ चतुराई
निसंग होय रेवो जग माही
खलक हैं रेण का सपना
समझ मन कोई नहीं अपना।।
सज्जन परिवार सुत दारा
एक दिन होयेंगे न्यारा
निकल जब प्राण जायेगा
कोई नहीं काम आयेगा
खलक हैं रेण का सपना
समझ मन कोई नहीं अपना।।
सदा मत जाण आदैया
लगा सत नाम से नैया
कटे जम काळ की फाँसी
कहे कबीर सा अविनाशी
खलक हैं रेण का सपना
समझ मन कोई नहीं अपना।।
खलक है रेण रा सपना
समझ मन कोई नहीं अपना
कठण हैं लोभ की धारा
मुआ सब जाय संसारा।।
स्वर रामी बाई।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
khalak hai ren ka sapna samajh man koi nahi apna lyrics