कैकई तूने लुट लिया दशरथ के खजाने को भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
कैकई तूने लुट लिया
दशरथ के खजाने को
तू तरस जाएगी रानी
तू तरस जाएगी रानी
मांग अपनी सजाने को
कैकई तुने लुट लिया
दशरथ के खजाने को।।
तर्ज मुझे पिने का शौक।
दशरथ जी कैकई से
भाल तरसेगा बिंदिया को
आँख तरसेगी कजरे को
हाथ तरसेंगे कंगन को
बाल तरसेंगे गजरे को
तू तरस जाएगी रानी
तू तरस जाएगी रानी
सबसे मिलने मिलाने को
कैकई तुने लुट लिया
दशरथ के खजाने को।।
मार पाई ना तू मन को
तूने जाना है धन जन को
रघुकुल के जीवन को
राम भेजे है वन को
तूने रस्ता चुना रानी
तूने रस्ता चुना रानी
सीधे नरक में जाने को
कैकई तुने लुट लिया
दशरथ के खजाने को।।
राम प्राणों से प्यारे मेरे
नैनो के है तारे मेरे
तूने वर माँगा था मुझसे
ये उम्मीद ना थी तुझसे
रानी वन में ना तुम भेजो
रानी वन में ना तुम भेजो
रघुकुल के घराने को
कैकई तुने लुट लिया
दशरथ के खजाने को।।
कैकई तूने लुट लिया
दशरथ के खजाने को
तू तरस जाएगी रानी
तू तरस जाएगी रानी
मांग अपनी सजाने को
कैकई तुने लुट लिया
दशरथ के खजाने को।।
स्वर हेमलता जी शास्त्री।
kekai tune loot liya dashrath ke khazane ko lyrics