कैकेई के वचन कठोर भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
कैकेई के वचन कठोर
भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए
जननी के वचन कठोर
भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए।।
धागा हो तो तोड़ दूं मैं
पर वचन न तोड़े जाएं
भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए
जननी के वचन कठोर
भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए।।
चिठ्ठी जो होती वाच सुनाते
मोसे करम ना वांचे जाए
भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए
जननी के वचन कठोर
भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए।।
कुवना जो होता हम पाट देते
समुद्र ना पाटे जाए
भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए
जननी के वचन कठोर
भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए।।
कैकेई के वचन कठोर
भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए
जननी के वचन कठोर
भरत के सुनतहि अंसुआ भर आए।।
गायक गोलू ओझा।
प्रेषक मनीष प्रजापति।
7696018648
kekai ke vachan kathor bhajan lyrics