कर दो दूर प्रभु मेरे मन में अँधेरा है भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
कर दो दूर प्रभु
मेरे मन में अँधेरा है
जब से तेरी लगन लगी
हुआ मन में सवेरा है
कर दों दुर प्रभु
मेरे मन में अँधेरा है।।
हरी तुमसे बिछड़े हुए
कई युग बीत गए
अब आन मिलो प्रियतम
मेरे मन में प्यार तेरा है
कर दों दुर प्रभु
मेरे मन में अँधेरा है।।
इतना तो बता दो मुझे
मेरी मंज़िल है कहाँ
अब ले चलो मुझको
जहाँ संतो का डेरा है
कर दों दुर प्रभु
मेरे मन में अँधेरा है।।
दर्शन पाये बिना
दर से हटेंगे नहीं
अब हमने डाल लिया
तेरे दर पे डेरा है
कर दों दुर प्रभु
मेरे मन में अँधेरा है।।
जब से तेरी लगन लगी
मेरे मन की कलियाँ खिलीं
अब जाग उठी किस्मत
हुआ दर्शन तेरा है
कर दों दुर प्रभु
मेरे मन में अँधेरा है।।
कर दो दूर प्रभु
मेरे मन में अँधेरा है
जब से तेरी लगन लगी
हुआ मन में सवेरा है
कर दों दुर प्रभु
मेरे मन में अँधेरा है।।
स्वर मृदुल कृष्ण शास्त्री जी।
kar do dur prabhu mere man me andhera hai lyrics