कान्हा बंसी की धुन जो सुनाए लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










कान्हा बंसी की धुन जो सुनाए





दोहा मुरलीधर की जादुई धुन से
बच ना पाए कोई
रात ढलन को आई फिर भी
अखियां नाही सोई।


कान्हा बंसी की धुन जो सुनाए
ब्रज चौरासी कोस सभी की
सुधबुध खो सी जाए
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये
कान्हा मुरली की धुन जो सुनाये।।
तर्ज तोरा मन दर्पण कहलाए।









मोर कोयलिया चरती गैया
वृन्दावन मंडराए
क्या जाने कब कुञ्ज गलिन में
छलिया के दर्शन पाए
एक झलक तेरी पाकर मन की
कलियाँ सब खिल जाए
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये
कान्हा मुरली की धुन जो सुनाये।।


बंसीवट भी तोहे पुकारे
आजा प्रीतम प्यारे
सखियों के संग रास रचाने
आ जमना के किनारे
बरसाने से राधा रानी
भागी दौड़ी आए
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये
कान्हा मुरली की धुन जो सुनाये।।


सांझ ढले निधिवन मोहन
श्यामा से मिलने आए
प्रेम गान में डूब के दोनों
मोहक रास रचाए
पर अद्भुत लीला को कोई
प्राणी देख ना पाए


कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये
कान्हा मुरली की धुन जो सुनाये।।


कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये
ब्रज चौरासी कोस सभी की
सुधबुध खो सी जाए
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये
कान्हा मुरली की धुन जो सुनाये।।













kanha bansi ki dhun jo sunaye lyrics