कलयुग कला थोरी अजमाल रा प्रगटिया रामदेव जी सायल - MadhurBhajans मधुर भजन
कलयुग कला थोरी
अजमाल रा प्रगटिया
युग में परियाण
आज म्हा पर मेहर करी थे
मोटा धणी थे हो सुभियाण।।
द्वारका रा नाथ
अजमल घर आया
देह धारी पींगे परीयाण
दिन रा रे दिवला
कुण रे संजोया
हद खुलगी हीरां री खाण।।
धेन दुवाय घणी भेळा होगी
मन में रे भेगी अबडी भोळ
दासी रे जाय संभालो पींगो
भीरम कँवर मिलावों ए आण।।
दासी जाय संभालियो पींगो
सन मुख सूता खूंटी ताण
घर में अचुम्बो हाजर भणियो
कोई रे सुवाणगी बालों आण।।
दासी रे जाय अजमल जी ने दाखे
घर में रे इचरज भणियो आण
कुंकू रे चरणों री करो रे पारखा
कोई रे सुवाणगी बालो आण।।
अजमल आय आंगणे ऊबा
भटियाणी दुविधा मत जाण
निरमल होयकर थण रे धुवावो
जूनो रे धणी भल आपणो रे जाण।।
द्वारकापुरी में राणी कोल किया था
दिया वचन भूआ परीयाण
नव रे खण्डों में राणी नाम रे राखसी
भळ हळ उगो रे पिछम में भाण।।
कोडी रे नगर रे माणक चौक में आयकर
ऊबा उगंते भाण
संग रो रे साथ सगळो आय ऊबो
सारथियों निजरो नहीं आण।।
पीढो रे ढाल रे आंगणे बैठा
काकी थू कँवर ने जाण
सारथिये ने म्हारे संग भेळो कर दे
छोडू नहीं अजमलजी री आण।।
सारथियों रे रामा सरगा सिधायो
फेर मिलेलो सपने में आण
काकी रे कँवर ने इयां ही केवे
काकी थू कँवर ने जाण।।
मोई रे सुवाण कर झूठ रे बोलगी
आडी रे बैठी कुंठा रे ताण
भैरू रे रागस रो डर थने लागे
बात रे केयोड़ी म्हारी मान।।
कूटो रे खोल धणी मोये रे पधारया
धरती रे सूतो कांई रे जाण
बांय रे पकड़ धणी बैठो करियो
ऊठ रे सारथीया थने म्हारी आण।।
डालल बाई ओ सकत थाने सिंवरू
थे हो ए पीरा रा आगीवाण
आगे रे भगत अनेक उबारिया
बारे रे लारे म्हाने जाण।।
आतस घणी रे चढ़िया कँवर जी
भमग घोड़े कियो रे पिलाण
हरजी रे शरणे भींजो रे भीणवे
रामदेजी म्हारो रे बढ़ावे मान।।
कलयुग कला थोरी
अजमाल रा प्रगटिया
युग में परियाण
आज म्हा पर मेहर करी थे
मोटा धणी थे हो सुभियाण।।
गायक श्री बाबूलाल जी सन्त।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
kaljug kala thori ajmal ra prakatiya lyrics