कैसी प्रभु तूने कायनात बांधी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
कैसी प्रभु तूने कायनात बांधी
एक दिन के पीछे एक रात बांधी।।
कभी थकते नहीं हैं वो घोड़े
तूने सूरज के रथ में जो जोड़े
रजनी ब्याहने चला चांद दूल्हा बना
साथ चंद्रमा के तारों की बारात बांधी।।
कैसी खूबी से बांधे ये मौसम
वर्षा सर्दी हेमन्त और ग्रीष्म
ये बहार का समा और ये पतझड़ खिजां
हवा बादलों के बीच बरसात बांधी।।
पक्षी जलचर वा जंतु चोपाए
तूने सबके ही जोड़े बनाए
नाग और नागिनी राग और रागनी
साथ पुरषों के इस्त्री की जात बांधी।।
नत्था सिंह है अनंत तेरी माया
जग के कण कण में तूं है समाया
जग से बाहर नहीं फिर भी जाहिर नहीं
अपने आंगन में ऐसी करामात बांधी।।
कैसी प्रभु तूने कायनात बांधी
एक दिन के पीछे एक रात बांधी।।
लेख स्वर्गीय नत्था सिंह जी।
स्वर घनश्याम मिढ़ा भिवानी।
मोबाइल 9034121523
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