कहता ऊधो तुम बिन मोहन ऐसे झरते नैना भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










कहता ऊधो तुम बिन मोहन
ऐसे झरते नैना
जैसे झरता झरना।।
तर्ज मेरे नैना सावन भादो।
राधारानी का संदेश कृष्ण तक ऊधो की जुबानी
कहता ऊधो तुम बिन मोहन
ऐसे झरते नैना
जैसे झरता झरना।।


सुनी है फुलवारी
सुनी है गौशाला
बादल बनकर निकल गए तुम
जब से नंद के लाला२
तड़फ तड़फ बृजबाला कहती
कब आओगे कान्हा२।।









सुना है वृन्दावन
सुना है बृज सारा
जिस दिन से हमे छोड़ गए तुम
सुना गोकुल सारा२
एकैक दिन एक बरस सा लगता
मिट गया सुख और चैना२।।


वो बातें मन भाए
पल पल याद वो आए
जीवन के इस कठिन समय मे
रात को नींद न आए२
ये नैना तेरी राह जोहती
लौट के जल्दी आना२।।


सुन बातें ऊधो की
समझ गए सब कान्हा
कण कण में मैं बसा हुआ हूँ
उनको तुम समझाना२
मन की आँख से जब तुम देखो
पास मुझे ही पाना२।।


कहता ऊधो तुम बिन मोहन
ऐसे झरते नैना
जैसे झरता झरना।।
भजन प्रेषक तथा लेखक












kahta udho tum bin mohan aise jharte naina lyrics