कही पर्वत झुके भी है कही दरिया रूके भी है लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
कही पर्वत झुके भी है
कही दरिया रूके भी है
नहीं रूकती रवानी है
नहीं झुकती जवानी है।।
गुरू गोबिंद के बच्चे
उमर मे थे अगर कच्चे
मगर थे सिंह के बच्चे
धर्म ईमान के सच्चे
गरज कर बोल उठे थे यूँ
सिंह मुख खोल उठे थे यूँ
नही हम रूके नही सकते
नही हम झूके नही सकते
कही पर्वत झुकें भी है
कही दरिया रूके भी है
नहीं रूकती रवानी है
नहीं झुकती जवानी है।।
हमे निज देश प्यारा है
हमे निज धर्म प्यारा है
पिता दशमेश प्यारा है
श्री गुरू ग्रंथ प्यारा है
जोरावर जोर से बोला
फतेहसिंह शोर से बोला
रखो ईटें भरो गारा
चुनो दिवार हत्यारों
कही पर्वत झुकें भी है
कही दरिया रूके भी है
नहीं रूकती रवानी है
नहीं झुकती जवानी है।।
निकलती स्वास बोलेगी
हमारी लाश बोलेगी
यही दिवार बोलेगी
हजारों बार बोलेगी
हमारे देश की जय हो
पिता दशमेश की जय हो
हमारे धर्म की जय हो
श्री गुरू ग्रंथ की जय हो
कही पर्वत झुकें भी है
कही दरिया रूके भी है
नहीं रूकती रवानी है
नहीं झुकती जवानी है।।
कही पर्वत झुके भी है
कही दरिया रूके भी है
नहीं रूकती रवानी है
नहीं झुकती जवानी है।।
गायक प्रकाश माली जी।
प्रेषक मनीष सीरवी
9640557818
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