कहाँ रखोगे बाबा हारो की अंसुवन धार भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










कहाँ रखोगे बाबा
हारो की अंसुवन धार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार
कहां रखोगे बाबा
हारो की अंसुवन धार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार।।
तर्ज सावन का महीना।


हारो की आँखे कभी
थकती नहीं है
अंसुवन की धारा कभी
रुकती नहीं है
उनकी पलको में तो
सावन है कई हजार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार
कहां रखोगे बाबा
हारो की अंसुवन धार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार।।


गीली गीली जो है तेरी
चौखट ये दानी
गोर से देखो वो है
अँखियो का पानी
रोते है सब हारे
आकर तेरे ही द्वार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार
कहां रखोगे बाबा
हारो की अंसुवन धार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार।।









हारो का दर्द उनके
दिल के फ़साने
या तो वो हारा जाने
या तू ही जाने
तुम ही तो सुनते बाबा
हारो की करुण पुकार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार
कहां रखोगे बाबा
हारो की अंसुवन धार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार।।


बेमोल निकले सोनू
आंसू संसार में
कीमत तो देखी उनकी
तेरे दरबार में
यहाँ तो आंसू से ना
बड़कर कोई उपहार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार
कहां रखोगे बाबा
हारो की अंसुवन धार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार।।


कहाँ रखोगे बाबा
हारो की अंसुवन धार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार
कहां रखोगे बाबा
हारो की अंसुवन धार
तेरा श्याम कुण्ड भी छोटा
पड़ जायेगा सरकार।।












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