कागलिया गेरो रे मिठो बोल गुरु सा आवेला जद पावणा लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










कागलिया गेरो रे मिठो बोल
गुरु सा आवेला जद पावणा
आवेला जद पावणा
आवेला जद पावणा
कागलियां गेरो रे मीठे बोल
गुरुसा आवेला जद पावणा।।


सोने चौच मंडाय दु थारी
हीरा हजारी टोप
चांदी चढ़ाऊं पंख्या थारी
गले सोने री डोर
कागलियां गेरो रे मीठे बोल
गुरु सा आवेला जद पावणा।।


जिण मार्ग सतगुरु सा आवे
फुलड़ा देव बिछाय
पलकों रा पावड़िया करने
आसन देऊ बिठाय
कागलियां गेरो रे मीठे बोल
गुरु सा आवेला जद पावणा।।


प्रीत घिरतरा भोजन परोसु
कर मनवार जीमाऊ
मीठा वचन मिश्री रा घोलू
पंखी वाव ढूलाऊं
कागलियां गेरो रे मीठे बोल
गुरु सा आवेला जद पावणा।।









शब्द सुनावे ज्ञान बतावे
दुरमति दूर भगावे
उदय सिंह आनंद में डूबे
तू बोले गुरु आवे
कागलियां गेरो रे मीठे बोल
गुरु सा आवेला जद पावणा।।


कागलिया गेरो रे मिठो बोल
गुरु सा आवेला जद पावणा
आवेला जद पावणा
आवेला जद पावणा
कागलियां गेरो रे मीठे बोल
गुरु सा आवेला जद पावणा।।
गायक उदय सिंह जी राजपुरोहित।










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