कचरो छा गयो रे कर्मो पे कैसे काटे दुखड़ो भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










कचरो छा गयो रे कर्मो पे
कैसे काटे दुखड़ो।
दोहा कबीर कमाई आपणी
कबू न निष्फल जाय
सात समद आडा फिरे
मिले अगाड़ी आय।
आग लगी वृक्ष माय ने
जलन लगे सब पात
थे अब क्यूँ जलो पंखेरवो
पंख तुम्हारे पास।
फल फूल खाये इस वृक्ष के
रहे बीच भरे हैं पात
उड़ना हमारा धर्म नहीं
जलना वृक्ष के साथ।
पत्ता टूटा डाल से
ले गई पवन उड़ाय
अबके बिछड़े नहीं मिले
दूर पड़ेंगे जाय।


कचरो छा गयो रे कर्मो पे
कैसे काटे दुखड़ो
काटे दुखड़ो रे कैसे मिटे दुखड़ो
कचरा छा गयो रे कर्मो पे
कैसे काटे दुखड़ो।।


नौ दस मास गर्भ के अंदर
पायो घणो दुखड़ो
कोल करी ने बायर आयो
फेर लियो मुखड़ों
कचरा छा गयो रे कर्मो पे
कैसे काटे दुखड़ो।।









गयो बचपन ने आई जवानी
बोले घणो उकड़ो
छोटे बड़े री कदर न जाणे
बोले घणो बेड़ों
कचरा छा गयो रे कर्मो पे
कैसे काटे दुखड़ो।।


गई जवानी आयो बुढापो
पकड़ लियो लकड़ो
आया गिया ने कने बुलावे
कोई हाथ पकड़ो
कचरा छा गयो रे कर्मो पे
कैसे काटे दुखड़ो।।


यम पार की लेवा दवाईया
मच्यो घणो झगड़ो
कहे कबीर सुणो भाई साधु
सत्य नाम रटणो
कचरा छा गयो रे कर्मो पे
कैसे काटे दुखड़ो।।


कचरों छा गयो रे कर्मो पे
कैसे काटे दुखड़ो
काटे दुखड़ो रे कैसे मिटे दुखड़ो
कचरा छा गयो रे कर्मो पे
कैसे काटे दुखड़ो।।
स्वर प्रकाश पग्गी।
रामेश्वर लाल पँवार आकाशवाणी सिंगर।
9785126052










kachro cha gayo re karma pe kaise kate dukhdo lyrics