जो भी दरबार से पाया वो सब तुम्हारा है भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
जो भी दरबार से पाया
वो सब तुम्हारा है
तेरे रहते मेरे बाबा
ना कोई हारा है
जों भी दरबार से पाया
वो सब तुम्हारा है।।
तर्ज जो भी दरबार में आया।
मेरे मालिक मेरे ठाकुर
तेरा जवाब नहीं
तेरी किरपा का मेरे बाबा
कोई हिसाब नहीं
झूठी माया झूठी काया
ये भ्रम हमारा है
जों भी दरबार से पाया
वो सब तुम्हारा है।।
तुझको आवाज देके बाबा
क्यों बुलाऊँ मैं
हर घडी हर जगह पे बाबा
तुझको पाऊं मैं
मेरी धड़कन मेरी सांसो
पे हक़ तुम्हारा है
जों भी दरबार से पाया
वो सब तुम्हारा है।।
मेरी खुशियां मेरी दुनियां
मेरी पहचान है तू
जो ना चाहा वो भी पाया
मेरी मुस्कान है तू
बिन तेरे श्याम का जहाँ में
ना गुजारा है
जों भी दरबार से पाया
वो सब तुम्हारा है।।
जो भी दरबार से पाया
वो सब तुम्हारा है
तेरे रहते मेरे बाबा
ना कोई हारा है
जों भी दरबार से पाया
वो सब तुम्हारा है।।
jo bhi darbar se paya wo sab tumhara hai lyrics