जिस काबिल मैं नहीं था बाबा मुझको वो दरबार मिला लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










जिस काबिल मैं नहीं था बाबा
मुझको वो दरबार मिला
छोटा पड़ गया दामन मेरा
तुमसे इतना प्यार मिला।।
तर्ज चेहरा है या चाँद खिला है।


तुम्हे जानने से पहले हम
दर दर ठोकर खाते थे
गैरों की क्या बोले हमसे
अपने आँख चुराते थे
मैं हूँ नसीबों वाला बाबा
तुमसे मिला हमदर्द मुझे
चोट अगर लग जाए मुझको
तो होता है दर्द तुझे
ऐसा लगा मिल करके तुमसे
मुझको मेरा परिवार मिला
छोटा पड़ गया दामन मेरा
तुमसे इतना प्यार मिला।।


श्याम तेरे दरबार के लायक
मुझ में कोई बात नहीं
फिर भी तूने इतना दिया
जितनी मेरी औक़ात नहीं
श्याम तुम्हारे नाम को मैंने
जिस दिन से अपनाया है
कैसे बतलाऊँ मैं बाबा
क्या क्या मैंने पाया है
सौ सौ हाथ लुटाने वाला
मुझको तो दातार मिला
छोटा पड़ गया दामन मेरा
तुमसे इतना प्यार मिला।।









श्याम तेरे ही गुण गाऊंगा
जब तक आखरी सांस रहे
इतनी सी अर्ज़ी है माधव
बस तू मेरे पास रहे
अपने रूठे पराये रूठे
बस तू रूठे श्याम नहीं
श्याम अगर तू रूठ गया तो
फिर जीने का काम नहीं
तुमसे ही तो खाटू वाले
जीने का आधार मिला
छोटा पड़ गया दामन मेरा
तुमसे इतना प्यार मिला।।


जिस काबिल मैं नहीं था बाबा
मुझको वो दरबार मिला
छोटा पड़ गया दामन मेरा
तुमसे इतना प्यार मिला।।












jis kabil main nahi tha baba mujhko wo darbar mila lyrics